समय प्रबंधन के लिए किसी खास तकनीक की आवश्यकता नहीं है। आपको स्वयं के लक्ष्य के अनुसार अपनी प्राथमिकताओं को तय करना है अर्थात् आपको यह देखना होगा कि कौन-सा कृत्य या कार्य आपको लक्ष्य की ओर अग्रसर कर रहा है? आपको स्वयं यह आकलन करना होगा कि आप कहां-कहां समय व्यर्थ कर रहे हैं? कौन-सा समय आप अपने लक्ष्य कि पूर्ति हेतु सार्थक रूप से उपयोगी कर सकते हैं?

How to time management | SD Squad

प्रभावी समय प्रबंधन हेतु कुछ बातों पर गौर करना होगा जो नीचे दिए जा रहे हैं। इन पर अमल करने से आप अपने समय का सदुपयोग उचित तरीके से कर पाएंगे, यह हमारा विश्वास है।


जैसे आप सुबह 7 बजे उठते हैं। 7-9 ( 2 घंटे ) का समय आप दैनिक आवश्यकताओं से निवृत्त होकर, नाश्ता आदि करने में व्यय करते हैं। फिर 9 या 10 बजे स्कूल/कॉलेज/कोचिंग/ऑफिस में  जाते हैं। वहां से करीब 2 या 3 बजे लंच करते है/वापस आकर खाना खाते हैं एवं एक घंटे सोते हैं। फिर चाय आदि पीकर 6 बजे टीवी देखने या नेट-सर्फिंग या नेट-चैटिंग करने लग जाते हैं या मित्रों के साथ घूमने निकल जाते हैं। घूमकर 8 बजे आते हैं, फिर पढ़ने बैठते हैं।


एक घंटे पढ़ते हैं और 9 बजे रात्रि भोजन के बाद, 10 बजे से 11 बजे तक पढ़ते हैं। फिर आप सो जाते हैं। यह एक सामान्य दिनचर्या मानी जा सकती है। आपने देखा स्व-अध्ययन हेतु आप मात्र दो घंटे ही दे पा रहे हैं। आपको अपनी दिनचर्या को इस प्रकार से सुव्यवस्थित करना चाहिए कि आप अधिकतम समय स्व-अध्ययन (self-study) हेतु निकाल सकें। यह समय प्रबंधन का एक भाग है।


  1. महत्त्वपूर्ण एवं कम महत्त्वपूर्ण कार्यों का विभाजन

आपको महत्त्वपूर्ण एवं कम महत्त्वपूर्ण कार्यों का विभाजन करना होगा , जो कार्य अधिक महत्त्वपूर्ण हैं, उन्हें पहले करना होगा एवं को कम महत्त्वपूर्ण हैं, उन्हें बाद में संपन्न किया जा सकता है। जैसे—कोचिंग क्लास में दिए गए कार्य को आज ही पूरा करना, क्योंकि यह एक महत्त्वपूर्ण कार्य है, लेकिन किसी मित्र के ई-मेल का जवाब देना महत्त्वपूर्ण नहीं है।


2. कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा का निर्धारण

किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु स्वयं को अनुशासन में रखने की आवश्यकता होती है। स्वयं की क्षमता को चुनौती देना भी आवश्यक है; जैसे—विद्यार्थी जीवन में यह समय सीमा निर्धारित करना की सभी विषयों या किसी एक विषय का कोर्स परीक्षा के तीन माह या दो माह पूर्व अवश्य पूर्ण कर लेना है, यह स्वयं की क्षमता को चुनौती देना है।

संकल्प करने से आपके लिए उस संकल्प को पूर्ण करना, एक महत्त्वपूर्ण दायित्व हो जाता है। इस तरह कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा तय करना भी समय प्रबंधन का ही एक अंग है।


3. टालने की आदत का परित्याग

इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है की आज का कार्य आज ही संपन्न हो, इसे अपनी आदत में शुमार कर लें। इसमें महत्त्वपूर्ण एवं कम महत्त्वपूर्ण कार्यों का उचित विभाजन किया का सकता है। कई बार मौज-मस्ती के मूड में, किसी मित्र के अत्यधिक मनुहार या अन्य अवांछित कारण से हम अपने कार्य को दूसरे दिन पर टाल देते हैं, ऐसी स्थिति से बचें।


4. समय का अधिकतम सदुपयोग

यह एक महत्त्वपूर्ण बात है। कई स्थितयों में तो छात्र स्वयं ही अपना समय, अनुपयोगी कार्यों में व्यतीत करते देखे जाते हैं; जैसे—प्रतिदिन घंटे-दो घंटे की नेट सर्फिंग या फेसबुक पर संदेश देना या मित्रों के साथ गप-शप। कई बार आपके मित्रों द्वारा आपका बहुत समय व्यर्थ व्यतीत कर दिया जाता है।

मित्र ने अपनी पढ़ाई कर ली, स्वयं का दिमाग तरोताजा करने के लिए या समय व्यतीत करने के लिए आपके पास आ जाता है। आप उसे मित्रतावश कुछ नहीं कह पाते हैं और आपका बहुत-सा कार्य अपूर्ण रह जाता है। ऐसे मित्रों से दूरी बनाना ही उचित एवं अनिवार्य है।


सफलता में समय प्रबन्धन का महत्त्वपूर्ण योगदान है। जीवन में जो व्यक्ति समय की कीमत को समझता है, वह एक-न-एक दिन अवश्य सफल होता है।